Monday 10 February 2014

क्यूँ

मैं खुद ढूँढ रहा हूँ,
इन सवालों के ज़वाब ,
की क्यूँ आता है मुझे बस तुम्हारा ही ख्वाब ,
क्यूँ हर पल होता है मेरे आसपास ,
मुझे तुम्हारा ही एहसास,
क्यूँ मुझे लगने लगा है अब हर एक दिन खास,
क्यूँ और भी मजबूत हो गया मेरा रब में विश्वास ,
क्यूँ चारों और सुनाई देती है,
मुझे तुम्हारी ही हँसी,
क्यूँ तुम्हे सही सलामत देखकर मिलती है मुझे ख़ुशी,
क्यूँ मुझे तुम्हे निहारना है भाता,
क्यूँ तुम्हारी आँखों में आँसू ,
मैं सह नहीं पाता,
क्यूँ तुम्हे देखकर उदास, मैं हो  परेशान,
क्यूँ तुम्हारी जिंदगी से जुड़ा हर पहलु करता है मुझे हैरान,
क्यूँ  हर एक चीज़,
मैंने रख रखी है अब तक सहेजकर,
क्यूँ तुम्हारे साथ बिताए हुए वो चंद लम्हे,
रख रखे हैं अपने दिल में सँजोकर । 


मैं खुद ढूंढ रहा हूँ इन अनसुलझे,
सवालों के जवाब,
कि क्यूँ आता है मुझे बस तुम्हारा ही ख्वाब,
मुझे खुद को है  बेसब्री से जवाबो कि तलाश,
कि क्यूँ हर पल मेरे आसपास होता है,
 मुझे तुम्हारा ही एह्सास । 

No comments:

Post a Comment